मंगलवार, मई 12, 2009

हम होंगे कामयाब

जाने कब तक स्त्रियाँ खुद अपनी दुर्दशा पर रोती रहेंगी, कब तक अपने ऊपर होते अत्याचार सहती रहेंगी , हर एक अधिकार मिलने के लिए किसी और के मुँह को ताकते रहेंगे? खुद कुढ़ते रहने का कोई ओचित्य नहीं जब तक हम गलत को गलत कहना शुरू नहीं करेंगे. परिवर्तन एक दो दिन में तो नहीं आएगा, वक़्त लगेगा पर आएगा जरुर. उदाहरण के लिए मुझे याद आया हाल ही में जब मुझे commonwealth scholarship मिली थी हम लोगों से हमारे मूल निवास का पता माँगा गया, शिक्षा विभाग, मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार ने कहा की महिला आवेदनकर्ता अपने परेंट्स के घर का पता दे. आप contact address में अपना कोई दूसरा पता देना चाहे तो दे दीजिये. आप जो पता दे यह आप पर निर्भर करता है पर हम आपको सिर्फ सलाह दे रहे हैं. इसका मुख्य कारण यह था की आज भी ससुराल वाले या पति, पत्नी के पाने पर सरकार द्वारा भेजे गये पत्रों को छुपा देते हैं, फेंक देते है. और नारी काबिल होने के बावजूद उच्च शिक्षा पाने के अधिकार से वंचित रह जाती है. माता पिता के घर पत्र भेजना चाहे गारंटी ना दे की पत्र आवेदनकर्ता को मिलेगा ही पर फिर भी उसकी मिलने की उम्मीद ज़्यादा होती है. और हमारे स्वयं निर्णय करने का चान्स भी ज़्यादा रहेगा. स्थिति में परिवर्तन तो हो रहे हैं परंतु बहुत धीमे, इस रफ़्तार को बढ़ने के लिए हमारी ज़िम्मेदारी बनती है की हम सही ग़लत का निर्णय लेने की क्षमता का विकास करे और साथ ही हर ग़लत को ग़लत कहने और हर ग़लत उठती उंगली, सवालों का जवाब देने की शक्ति अपने भीतर पैदा करे.

24 टिप्पणियाँ:

श्रद्धा जैन ने कहा…

Surbhi aapke lekh mein nari ki shakti aur badalte roop ka bhi zikr hai aur sach kaha hai ki badalna hume hi hai
achha laga

aapke aur vichar padhne milenge umeed hai

के सी ने कहा…

आमीन

अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’ ने कहा…

सुरभि जी,
आपके विचार बहुत अच्छे लगे ईश्वर आपको सफलता प्रदान करें।
सादर
अमित

बेनामी ने कहा…

मार्मिक और सुन्दर अभिव्यक्ति ..परावाणी भी देखें

mastkalandr ने कहा…

नारी नर में अब फरक कहाँ
रकीबी है गोया बुतकदे कहाँ ..मक्
आपका स्वागत है ,हमारी शुभकामनाए सदा आपके साथ है ..,खूब लिखें बेहतर लिखें . मक्

प्रकाश गोविंद ने कहा…

प्रिय सुरभि जी

विचारणीय लेख है आपका !

आपका आवेश कम होगा अगर आप
आज से 20 साल पहले की स्थिति के
बारे में सोचेंगी !

आज तो नारी बहुत-बहुत आगे निकल
चुकी है ... अपने बलबूते ... अपनी
प्रतिभा के दम पर मजबूती से अपने पाँव
जमा रही है !

परिवर्तन रातों-रात नहीं होता !

एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि आज भीं
नारी की दुश्मन नारी ही ज्यादा है !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपका कहना सही है...........
उम्मीद है आपका कहना सफल होगा

Shashi Kant Singh ने कहा…

Hindi blog jagat me aapka swagat hai.......

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह ने कहा…

Surabhi,Pl dont be impatient,situation is improving though not rapidly .
Yr approach shows that u are a committed soldier for the cause.
Keep fighting and keep writing.
with best wishes
Dr.Bhoopendra

शशांक शुक्ला ने कहा…

आप बिलकुल सही कह रही है..महिलाओं को आत्मनिर्भर होना ही चाहिए....

maandarpan ने कहा…

आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
चिटठा जगत मैं आप का स्वागत है

गार्गी

Sanjay Grover ने कहा…

हुज़ूर आपका भी ....एहतिराम करता चलूं .......
इधर से गुज़रा था, सोचा, सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

कृपया अधूरे व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें।
मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

Bhawna Kukreti ने कहा…

sach hi likha hai aapne . ye baatein mujhe bhi aksar bechain kar deti hai . kuch karna chaiye yahi soch kar apne star par aas paas prayaas karti rahti hoon

आर.आर.अवस्थी ने कहा…

स्वागत है. शुभकामनायें.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

jab man kamyab hone kee than le to usko koi nahi rok sakta, narayan narayan

कनिष्क कश्यप ने कहा…

bahut socha to do alfaz mile
jinhe do bar duhrate ham chale
aapko ye pakaau comment na khale
ham bure sahi achhe bhale


bahut achhe bahut achhe kahte chale,,

Unknown ने कहा…

aapka aalekh aur aalekh me se jhankta dard,aapke ek kushal kalamkaar hone ka praman hai....
lekin SURBHIJI,naari ka dushman yadi aap nar ko samajhti hain toh shayad aapko punarvichar karna chahiye kyonki jahan tak maine dekha hai,nari ka dushman nar nahi,balki naari hi hai.......ek naari hi doosri naari se irshya karti hai aur naari hi naari ka rasta rokti hai...nar me na toh ye saamarthya hai ki vo naari ka samna kar sake na hi vaha use peeda dena chahata hai,nar toh bechara itna bhola hai ki naari ki ek muskan k liye apni jaan par bhi khel jata hai.....AAPKA AALEKH DUMDAR HAI,hardik badhaiyan+WISH YOU ALL THE VERY VERY BEST

सुरभि ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया. मेरा आक्रोश किसी पुरुष के प्रति नही बल्कि समाज और उन सभी लोगो के प्रति है जो शोषण करते हैं या सहते है.

Deepak "बेदिल" ने कहा…

naari shakti se bhari baate....likhte raahe..apne dil ko shanti dete rahe

सुरभि ने कहा…

deepak jee aapki baat se lagta hai aapke man aur dimag mein kuch ashanti paida ho gayi hai meri baatain padh ke

BAL SAJAG ने कहा…

सुरभि जी आगाज अच्छा है.....
इरादे कर बुलन्द रहना शुरू करती तो अच्छा था
तू सहना छोड़ कर कहना शुरू करती तो अच्छा था. .....
थोडी सी जमीं और थोडा सा आसमान ही नहीं ,,,,
आपका तो हक़ आधी जमीं और आधा आसमान का है..... सशक्त लेखनी को एक बार फिर सलाम
यूं ही लिखते रहिये.......

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है आपने । आपका शब्द संसार भाव, विचार और अभिव्यिक्ति के स्तर पर काफी प्रभावित करता है ।

मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल होने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

neeta ने कहा…

lekh achchha laga...pls font size badhayen

 

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