मंगलवार, सितंबर 22, 2009

जो नहीं है उसका अफ़सोस करने और दुःख मनाने से अच्छा है की जो है और जो मिल रहा है उसकी ख़ुशी मनाई जाए :)

8 टिप्पणियाँ:

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

Nice Article...Thank You.

Dr Parveen Chopra ने कहा…

बिल्कुल सही फरमाया। काश, यह बात हम लोग समझ पायें और इसे अपने जीवन में उतार लें।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

वो मनुष्य ही क्या, जो चूल्हे में से उबाल आकर गिर चुके दूध के लिए हाय तोबा न मचाये ? :)

Arshia Ali ने कहा…

यही जीवन को जीने का सबसे सही तरीका है।
( Treasurer-S. T. )

निर्मला कपिला ने कहा…

बिलकुल सही कहा जी आपने ये जीवन जीनी की कला है ये देखिये
उबरते रहे हादसों से सदा
गिरे, फिर उठे, मुस्कुरा कर चले---gautam raaj rishi
धन्यवाद्

रंजना ने कहा…

बिल्कुल सही ......

Himanshu Pandey ने कहा…

बेहद खूबसूरत । प्राप्ति का स्वीकार है यह ! आभार

क्षितिज ने कहा…

मुझे आपकी पहली पोस्ट में, कुछ् जवाब देखने को मिला है, वरना तो आपके पास प्रश्न ही प्रश्न हैं. थोड़ी निराशामय है, पर अच्छा है नज़रिए के अनुसार.

 

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