मंगलवार, फ़रवरी 01, 2011

मन का उजाला



ज़िन्दगी में कितने ही अँधेरे आयें
पर मेरे मन का उजाला
हर अँधेरे को खिलखिलाती सुबह बनाने ,
और हर रात को जगमगाने को तैयार है :)

1 टिप्पणियाँ:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…

आदरणीया सुरभि जी
सस्नेहाभिवादन !

बहुत प्रेरक रचना है, आभार ! ईश्वर आपके मन का उजाला सदैव कायम रखे … ताकि
अँधेरे को खिलखिलाती सुबह बनाने ,
और हर रात को जगमगाने
के आपके इरादों को संबल मिलता रहे …

लेकिन मेरी कामना है कि आपका जीवन प्रकाश से भरा रहे , अंधेरा आपके पास ही न आए … आमीन !

हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

 

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