शनिवार, नवंबर 14, 2020

कुछ यादें इश्क की गलियों से

क्या अब भी कोई आता है तुमसे मिलने ऑफिस से आते वक़्त, क्या ट्रेन में बैठते वक़्त अब भी क्या तुम्हे मेरे आने का इंतज़ार रहता है क्या कभी तुम भूल जाते हो कि अब मैं उस शहर में नहीं हूँ और तुम्हे रहती है जल्दी घर पहुचने की, क्या अब भी तुम घर पहुच कर खोल कर बैठ जाते हो लैपटॉप और चलता है शायरी, अंतराक्षी और बातों का दौर, क्या अब भी तुम्हे हर पल मिलते है कुछ sms और missed कॉल सर्दी कि रातों में हाथों में हाथ डाले सड़क पर घूमते लोगों को देख मेरी याद आती है? क्या अब भी तुम्हे डर रहता है वक़्त बेवक्त किसी के घर आने का, क्या अब भी अँधेरी रातों में बिस्तर पर तुम्हारे हाथ मुझे ढूंढते हैं, क्या अब भी सुबह कि पहली किरण और ऑफिस जाना तुम्हे उतना ही बोझिल लगता है क्या अब भी तुम हर दिन को शुक्रवार और शनिवार में बदलना चाहते हो ताकि तुम्हे ऑफिस न जाना पड़े, जब बरफ कि झड़ी लगी है सारे शहर में क्या कोई तुम्हे अकेला न छोड़ने का प्रण कर तुम्हारे पास आता है क्या अब भी तुम्हे ढूंढने पड़ते है लिपस्टिक के रंग, और चुनना पड़ता है कपड़ो के रंग ? चित्र साभार गूगल

सोमवार, अक्तूबर 26, 2020

कशमकश

कभी कभी मुझे लगता है की शायद इंसान से दुष्ट कोई नहीं है. अपने आस पास जिसे भी देखू सब अपने ऊपर एक आवरण चढ़ाये हैं. कितना ही लगे की ये इंसान बाकी सबसे अलग है पर असलियत में ऐसा नहीं है शायद एक दो ही ऐसे लोग हो जो भीड़ से हटकर हैं या जिनमे कुछ अलग है. एक सबसे बड़ी फितरत इंसान की वो बोरे बहुत जल्दी हो जाते हैं. जब भी कोई रिश्ता शुरू होता है वो बहुत सुन्दर लगता है, एकदम नया नया सा. धीरे धीरे उससे लोग बोर होने लगते हैं और फिर दुसरे रिश्ते उनकी ज़िन्दगी में जगह ले लेते हैं. जो लोग कभी उनकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हिस्सा थे उन्हें ऐसे काटकर अलग कर देते है की वो कभी था ही नहीं . मैं पहले मानती थी की ऐसा नहीं होता अगर आपने किसी की ज़िन्दगी को उसके साथ जीया है या किसी ने हर पर आपकी ज़िन्दगी को महसूस किया है वो लोग कभी दूर नहीं हो सकते वहां कभी भी कुछ बीच नहीं आ सकता. अगर आपके बीच टकराव है तो उससे बहार आने का रास्ता धुंध लिया जाये तो रिश्ते मजबूत होते हैं. पर शायद यही गलती है जिसे सभी करते हैं. प्राय सभी की ज़िन्दगी में रेप्लेस्मेंट्स होते हैं, जैसे ही उन्हें दूसरा मिले वो पहले को हटा दूसरे को जगह दे देते हैं या जगह खाली होते ही भर देते हैं. आपका किसी के साथ बीताया समय आपको याद ही नहीं रहता अपने नए रिश्तों, ज़िन्दगी में. जिस इंसान से आप रोज मिलने के बाद भी फ़ोन पे, नेट पे बात करते हो अब आपको उसकी फ़ोन उठाने की भी जरुरत महसूस नहीं होती. जिस इंसान ने आपके हर अच्छे बुरे में आपका साथ दिया हो वो अब ज़िन्दगी का कहीं हिस्सा नहीं क्यूंकि आप अपनी नयी ज़िन्दगी में बहुत व्यस्त हैं. खून के रिश्ते और वैवाहिक रिश्तों में पालन करने की अनिवार्यता सामान्यता बहुत ज्यादा होती है,आप अगर दूर जाना भी चाहे तो काफी मुश्किल है पर इसके अलावा जो रिश्ते है उनमे कहीं कोई अनिवार्यता साथ निभाने की पाबन्दी नहीं होती. मुझे लगता था ये रिश्ते बहुत खूबसूरत और अनूठे होते हैं क्यूंकि ये हमें हमारे खून से नहीं मन से सीचने होते हैं. यहाँ अगर कुछ कडवाहट हुई तो निभाने की अनिवार्यता न होने से साथ कभी भी छूट सकता है. इसलिए रिश्ते के दोनों पक्षों को बहुत विश्वास और प्यार से एस रिश्ते को पुष्पित पल्लवित करना पड़ता है. आज लगतI है मेरा सोचना सही है या नहीं ?
 

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