मूर्खता : एक सात्विक गुण
5 वर्ष पहले
मेरा जन्म हुआ इश्क से...मेरा जन्म हुआ इश्क के लिए...इश्क का हर रूप हर रंग जीवन में यहाँ वहां छलका हुआ है...ढूंढ सको तो ढूंढ लो जो रंग चाहिए जीवन इन्द्रधनुषी करने के लिए
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9 टिप्पणियाँ:
hi tec bhikhari...
बहुत बढिया
मजेदार
आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
haa haa!! मिस्ड काल का सही उपयोग!
sahi hai technology ke sath chalenge to tikenge warna market se out
नमस्ते आंटी ! हां...हां .... मुझे भी है ना यह पढकर जोर से हंसी आई। हंसी के मारे मेरा पेट दुखने लगा है। आंटी आप उस भिखारी के मोबाइल नम्बर तो बताना ही भूल गई......? हां...हां ....हां ...
bahut badhiyaa!!
ha jamana badal raha hai jor jor se...
अच्छा चुटकुला !
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