रविवार, जून 13, 2010

गुदगुदी


कुछ दिनों पहले मुझे किसी ने एक चुटकुला भेजा जिसे पढ़कर मैं अपनी हंसी रोक ही नहीं पा रही थी

भिखारी : बेटी दो दिन से कुछ नहीं खाया, कुछ खाने को दे दे.
लड़की: बाबा अभी खाना नहीं बना है.
भिखारी:कोई बात नहीं मेरा मोबाइल नंबर ले लो जब बन जाए मिस्ड कॉल दे देना :)

सोमवार, जून 07, 2010

तो?



अगर चांदनी की तरह तुम मेरे जीवन में उजियारा न करती....तो
तो?
मैं तुम्हे प्यार न करता!

अगर बारिश में तुम मोर जैसे न नाचती........ तो
तो ?
तो मैं तुम्हे प्यार न करता.

अगर तुम्हारी हंसी में घुंघरुओं जैसा संगीत न होता......तो
तो?
मैं तुम्हे प्यार न करता!


अगर तुम लड़की न होती...तो
तो? तो? तो? क्या
तो मैं तुम्हे प्यार न करता!

शनिवार, जून 05, 2010

:)


एक दिन चाँद मेरी खिड़की पर आया
और बोला क्यूँ बैठी हो
आकाश में निगाहें लगाये
अब तो मैं आ गया.
मैंने भी हंसकर कहा
तुम तो आ गए पर क्या करूँ
दिल को अभी इशारा नहीं मिला की
वो भी तुझे देखने छत पर आ गया.
अगर मुझे, तुझे देखने पर
उसकी आँखों में झांकने का
अहसास न होता तो
अ चाँद मुझे भी तेरा इंतज़ार न होता!
 

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