शनिवार, जून 05, 2010
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मेरा जन्म हुआ इश्क से...मेरा जन्म हुआ इश्क के लिए...इश्क का हर रूप हर रंग जीवन में यहाँ वहां छलका हुआ है...ढूंढ सको तो ढूंढ लो जो रंग चाहिए जीवन इन्द्रधनुषी करने के लिए
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4 टिप्पणियाँ:
शीर्षक में स्माईली :) तो टिप्पणी में भी :)
अगर मुझे, तुझे देखने पर
उसकी आँखों में झांकने का
अहसास न होता तो
अ चाँद मुझे भी तेरा इंतज़ार न होता!
प्रतिबिम्ब ढूढते हैं हम अपने किसी खास का
आईने में अक्स उभर आया है विश्वास का
:) वाह क्या बात :)
bahut khub
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
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