सोमवार, जून 07, 2010

तो?



अगर चांदनी की तरह तुम मेरे जीवन में उजियारा न करती....तो
तो?
मैं तुम्हे प्यार न करता!

अगर बारिश में तुम मोर जैसे न नाचती........ तो
तो ?
तो मैं तुम्हे प्यार न करता.

अगर तुम्हारी हंसी में घुंघरुओं जैसा संगीत न होता......तो
तो?
मैं तुम्हे प्यार न करता!


अगर तुम लड़की न होती...तो
तो? तो? तो? क्या
तो मैं तुम्हे प्यार न करता!

7 टिप्पणियाँ:

Rajeysha ने कहा…

कहानी समझ में नहीं आयी डि‍यर।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

इतना धमकाना अच्छा नही ...

संजय पाराशर ने कहा…

thik hi hai... pyar to vyktigat hi hota hai.. nhi hota tab tk to thik.. hone ke bad milna kafi saral ho to... ukt kavitae hi shesh rahti hai.

संजय पाराशर ने कहा…

thik hi hai... pyar to vyktigat hi hota hai.. nhi hota tab tk to thik.. hone ke bad milna kafi saral ho to... ukt kavitae hi shesh rahti hai.

Shekhar Kumawat ने कहा…

bahut khub

magar samlengik walo ke liye achha nahi he

Udan Tashtari ने कहा…

अगर तुम लड़की न होती....

तो

तो मैं तुमसे प्यार न करता.... :)



अरे, जमाना बहुत बदल गया है...कुछ समय बाद तो लोग इस पर विश्वास ही नहीं करेंगे कि कभी कोई ऐसा भी लिखता था...हा हा!!!

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत बडिया आभार्

 

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