सोमवार, जून 01, 2009
अलविदा कहती ज़िंदगी
आज जब मैने तुम्हे जाते हुए देखा जाने क्यूँ लगा ज़िंदगी मुझसे दूर जा रही है. इस देश में आए मुझे 8.5 महीने हो गये हैं और यही एक रिश्ता है जो यहाँ आने के समय से आज तक मेरे साथ था. मेरी हर खुशी, हर दुख में मेरे साथ. जब कभी मैं परेशान होती थी एक प्यार भरा हाथ मेरे सिर पर आता और मुझे शांत कर देता, जाने कब और कैसे मेरी उलझने सुलझ जाती थी. चाहे रात्रि का कोई पहर हो की दिन का कोई समय एक विश्वास मेरे साथ था की, कोई साथ है मैं इस अजनबी लंदन शहर मे अकेली नही. कोई हर पल मेरे साथ है. पहली बार मैं घर से दूर होने के बावजूद बिना दुखी हुए रह पायी. इस रिश्ते को निभाने की अनिवार्यता ना समाज ने लागू की थी ना परिवार ने. ये रिश्ता अपने मे ही बुना हुआ एक सुंदर रिश्ता है, जिसे हमने खुद से पुष्पित, पल्लवित किया स्नेह, विश्वास अपनेपन से. समय के साथ साथ कब चीज़ें इतनी बदलती गयी की यह रिश्ता मेरे लिए उतना ही ज़रूरी हो गया जितना ज़िंदगी जीने के लिए हवा और पानी की ज़रूरत है. अभी यहाँ मुझे 3.5 महीने और रहना है पर अकेले और यहाँ अब ऐसा कोई घर नही जहाँ मैं जाके अपने घर जैसा महसूस कर सकूँ ना ही कोई ऐसा शख्स जिसके साथ मैं महफूज़ महसूस कर सकूँ. आज तुम्हे जाते देख भी मैं इतनी बेबस हूँ की तुम्हे रोक नही सकती सिर्फ़ जाते हुए देख सकती हूँ. मेरा जन्मदिन है पर फिर भी दिल बहुत उदास है और दिमाग़ परेशान. कुल मिलाकर मेरा मन पूरी तरह अशांत है. आज के दिन ईश्वर से मेरी यही यही प्रार्थना है की ये साथ ज़िंदगी भर का हो, कुछ ऐसा चमत्कार हो की हम फिर साथ हो, ज़िंदगी फिर से मेरी और रुख़ करे. आमीन!
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3 टिप्पणियाँ:
Hey Surabhi,
HBD...I'll pray for u! Don't feel unhappy think that after 3.5 months u will be reach there, where that someone special is...And trust if u both r really want to meet each other u will definitely meet. I know it bocz this is my personal experience.
So think positive.
अपने भी मिल जायेंगे होगी सच्ची चाह।
आशा, संबल भाव से कट जाती है राह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आप कितनी भी दूर हो ...ब्लॉग जगत के द्वारा तो सब से जुडी ही है.....जाने वाले कितने भी दूर जाएँ ..दिल से दूर नहीं जाते...
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