तेरी नींद के लिए लुटाने पड़े
सपने मेरे ख़ज़ाने से तो सौदा बुरा नहीँ
तेरी आँखों की चमक के लिए लेनी पड़े
रोशनी उधार सूरज से तो भी सौदा बुरा नही
तेरी एक हँसी के लिए थामे रखने पड़े
आँसू अपनी आँखों मे तो भी सौदा बुरा नहीं!
सोमवार, सितंबर 21, 2009
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4 टिप्पणियाँ:
बहुत बढिया भाव !!
बेहतरीन भाव!!
खूबसूरत भाव
वाकई ये सौदा बुरा नही है.
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
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