रविवार, जनवरी 10, 2010

ज़िन्दगी की भाग दौड़ में कुछ छूटते रिश्ते, कुछ टूटते सपने यही है नियम प्रकृति का ?
नहीं मैं नहीं मानती इन छोटी छोटी बातों को जो कर दे खाली मेरे अंतर्मन को,
हारना इस दिल का काम नहीं, और छोड़ना मेरी फितरत नहीं ...

3 टिप्पणियाँ:

kavita verma ने कहा…

sakaratmak vichar.

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्गर्भित विचार शुभकामनायें

अपूर्व ने कहा…

हारना इस दिल का काम नहीं, और छोड़ना मेरी फितरत नहीं
यही हौसला पहाड़ों से टकराने और उन्हे झुकने पर विवश कर देता है.

 

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