सोमवार, अक्तूबर 26, 2020

कशमकश

कभी कभी मुझे लगता है की शायद इंसान से दुष्ट कोई नहीं है. अपने आस पास जिसे भी देखू सब अपने ऊपर एक आवरण चढ़ाये हैं. कितना ही लगे की ये इंसान बाकी सबसे अलग है पर असलियत में ऐसा नहीं है शायद एक दो ही ऐसे लोग हो जो भीड़ से हटकर हैं या जिनमे कुछ अलग है. एक सबसे बड़ी फितरत इंसान की वो बोरे बहुत जल्दी हो जाते हैं. जब भी कोई रिश्ता शुरू होता है वो बहुत सुन्दर लगता है, एकदम नया नया सा. धीरे धीरे उससे लोग बोर होने लगते हैं और फिर दुसरे रिश्ते उनकी ज़िन्दगी में जगह ले लेते हैं. जो लोग कभी उनकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हिस्सा थे उन्हें ऐसे काटकर अलग कर देते है की वो कभी था ही नहीं . मैं पहले मानती थी की ऐसा नहीं होता अगर आपने किसी की ज़िन्दगी को उसके साथ जीया है या किसी ने हर पर आपकी ज़िन्दगी को महसूस किया है वो लोग कभी दूर नहीं हो सकते वहां कभी भी कुछ बीच नहीं आ सकता. अगर आपके बीच टकराव है तो उससे बहार आने का रास्ता धुंध लिया जाये तो रिश्ते मजबूत होते हैं. पर शायद यही गलती है जिसे सभी करते हैं. प्राय सभी की ज़िन्दगी में रेप्लेस्मेंट्स होते हैं, जैसे ही उन्हें दूसरा मिले वो पहले को हटा दूसरे को जगह दे देते हैं या जगह खाली होते ही भर देते हैं. आपका किसी के साथ बीताया समय आपको याद ही नहीं रहता अपने नए रिश्तों, ज़िन्दगी में. जिस इंसान से आप रोज मिलने के बाद भी फ़ोन पे, नेट पे बात करते हो अब आपको उसकी फ़ोन उठाने की भी जरुरत महसूस नहीं होती. जिस इंसान ने आपके हर अच्छे बुरे में आपका साथ दिया हो वो अब ज़िन्दगी का कहीं हिस्सा नहीं क्यूंकि आप अपनी नयी ज़िन्दगी में बहुत व्यस्त हैं. खून के रिश्ते और वैवाहिक रिश्तों में पालन करने की अनिवार्यता सामान्यता बहुत ज्यादा होती है,आप अगर दूर जाना भी चाहे तो काफी मुश्किल है पर इसके अलावा जो रिश्ते है उनमे कहीं कोई अनिवार्यता साथ निभाने की पाबन्दी नहीं होती. मुझे लगता था ये रिश्ते बहुत खूबसूरत और अनूठे होते हैं क्यूंकि ये हमें हमारे खून से नहीं मन से सीचने होते हैं. यहाँ अगर कुछ कडवाहट हुई तो निभाने की अनिवार्यता न होने से साथ कभी भी छूट सकता है. इसलिए रिश्ते के दोनों पक्षों को बहुत विश्वास और प्यार से एस रिश्ते को पुष्पित पल्लवित करना पड़ता है. आज लगतI है मेरा सोचना सही है या नहीं ?

4 टिप्पणियाँ:

M VERMA ने कहा…

रिश्तो को उकेरती कश्मकश

डॉ.मीनाक्षी स्वामी Meenakshi Swami ने कहा…

"ये रिश्ते बहुत खूबसूरत और अनूठे होते हैं क्यूंकि ये हमें हमारे खून से नहीं मन से सीचने होते हैं. यहाँ अगर कुछ कडवाहट हुई तो निभाने की अनिवार्यता न होने से साथ कभी भी छूट सकता है. इसलिए रिश्ते के दोनों पक्षों को बहुत विश्वास और प्यार से एस रिश्ते को पुष्पित पल्लवित करना पड़ता है।"

सुरभि जी,
अपने सवाल के पहले आपने खुद ही जवाब दे दिया है । इसे मैनें ऊपर कोड किया है ।
मैं भी आपसे सहमत हूं....सौ प्रतिशत सहमत ।

Priyanka ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Priyanka ने कहा…

Dear friend ,
Friendship or, for that matter any association outside our blood and family relations , are founded and enjoyed on the pretext of fun and enjoyment. As long as you give them your fun part and they relate to it , you are wanted / wished / missed for that moment / part . A true relation only comes in the face of commitment, dedication and standing against the odd. A true friend is not the one who laughs with you , it is the one one who can share your pain / adversity . Such dedications and thoughts no more exit in this material world. The world is running way to fast.

 

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