शनिवार, सितंबर 23, 2006

राजकुमार की उलझन, सिंडरेला परेशानी

बचपन मैं परी की कहानी सुनती थी, जब कभी सिंद्रेल्ला पढ़ा तब भी लगा ये तो किताबों मैं ही होता है असली ज़िंदगी मैं कहाँ कोई परी कहाँ कोई राजकुमार होता है सब सपनो की दुनिया है पर नही शायद कहीं तो कुछ सच है इसमे कभी-कभी मन कहता है राजकुमार तो सभी को मिलता है शायद, पर सिंद्रेल्ला जैसा मिलता है या नही, मुझे नही पता. मेरी ज़िंदगी मैं वो राजकुमार आएगा या नही और आया तो कैसा होगा मैं ख़ुद नही जानती. एक राजकुमार शायद कहीं है पर उसे नही लगता की मैं वही उसके सपनोवाली राजकुमारी हूँ, उस राजकुमार की ज़िंदगी मैं राजकुमारी आई और चली गयी आज राजकुमार को लगता है अब वोह राजकुमारी नही ढुँडेगा जो उसके घरवाले देखेंगे बस वही होगी. राजकुमार को भी कहीं मैं अच्छी लगती हूँ और शायद थोडा सा प्यार भी है उससे ज़्यादा कुछ भी नही और फिर राजकुमार को उपरवाले का ईशारा नही मिला अभी तक और जब तक ईश्वर वो इशारा नही करेगा राजकुमार भी नही मानेगा. क्यूं राजकुमार नही समझ पा रहा मेरे मन की उलझन, यदि उसने ज़्यादा देर की तो मैं हमेशा के लिए उसकी ज़िंदगी से चली जौंगी. राजकुमार तुम जल्दी से समझो ना अपने मन की बात!

1 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

Rajkumar adhiktar dukh dene ke liyen hote hain. unke liyen ladkiyon ka koi mol nahi. ladko ki sabse badiu uljhan hai woh faisala nahi le pate. isliyen behtar hai tum uski uljhan ko apni pareshani mat banao

 

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