सोमवार, जून 29, 2009

मैं और मेरा शोध कार्य

पिछले चार दिन कैसे बीते कुछ पता ही नही चला. जबसे रिसर्च का काम शुरू किया है तबसे कुछ ना कुछ होता ही रहता है. रिसर्च का काम करते करते समझ भी नही आ रहा था मैं सही लिख भी रही हूँ या नही. अभी तक की मेरे शोध प्रशिक्षण के हिसाब से मुझे कुछ मूलभूत नियम, क़ानून का अनुसरण करना पड़ता था. पर मेरे गाइड इससे संतुष्ट नही थे. मेरा विषय भी ऐसा है जिसमे ज़्यादा कुछ घूमने, फिरने की स्थिति मे मैं नही रहती हूँ. विमुकत जनजातियों मे देह व्यापार विषय पर जब मैं डाटा एकट्ठा करने गयी तब मुझे बहुत ही दिक्कतें आती थी. लोग बात नही करते थे, ग़लत जवाब बताते थे. सब हमेशा कहते थे मैं किसी से भी दोस्ती कर सकती हूँ क्यूंकी मैं बहुत हँसमुख और बातुनी हूँ बस यही यहाँ काम आया और धीरे धीरे मैने अपनी थीसिस की सामग्री एकत्रित की कंज़र जाति के लोगों से. थीसिस के अध्याय लिखना चल रहा था अचानक से यहाँ के गाइड को लगा की मुझे अपनी सृजनात्मकता का कुछ सबूत देना चाहिए. बस उसी सृजनात्मकता का सबूत जुटाने मे सारा सप्ताह चला गया. और मैने अपनी थीसिस का पहला अध्याय वहाँ से शुरू किया जहा से मैने सबसे पहले एस विषय पर काम करने का सोचा था. और धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए एथनोग्राफी के हिसाब से लिखना शुरू किया. देह व्यापार मे जाने से पूर्व एक बालिका को किन संस्कारो से गुज़रना होता है, कैसे उसको देह व्यापार के लिए ट्रेन किया जाता है एस सबको एक नरेटिव के रूप मे लिखना बहुत मुश्किल रहा मेरे लिए. मुश्किल इसलिए क्यूंकी मैं सही दिशा मे लिख पा रही हूँ या नही इसका पूरा पता मुझे नही है. और दूसरे मेरा शोध क्षेत्र हिन्दी भाषी था तो उसको इंग्लीश मे लिखते वक़्त क्या मैं अपने उत्ारदाताओ की भावनाओ का पूरी तरह ख्याल रख पा रही हूँ या नही? वैसे भी मेरा विषय और उससे जुड़ी सब बातें इतनी संवेदनशील हैं की कहा पर कुछ ज़्यादा लिख जाए या ग़लत कह नही सकते. अपने अभी तक के रिसर्च ट्रैनिंग को थोड़ा दूर रख कर लिखना कठिन कार्य है. मैने कोशिश की है पर अभी मैं पूरी तरह आश्वस्त नही हूँ. मेरी दीदी जो अभी अमेरिका मे है वो वहाँ बैठ कर पढ़ती रही और अपने सुझाव भी दिए और अंतत हमने उन पर डिस्कशन कर गाइड को अपना लेख जमा कर दिया. देखते है अब गाइड क्या कहते हैं.

5 टिप्पणियाँ:

अर्कजेश Arkjesh ने कहा…

आपने बहुत ईमानदारी और से लिखा है | यह बनी रहे |

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आपका विषय तो चुनौती पूर्ण है ,जम कर मेहनत करना होगा .

Vinay ने कहा…

अगले लेख का इंतिज़ार रहेगा।

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चर्चा । Discuss INDIA

M VERMA ने कहा…

अनुभवो को बखूबी बयान कर रही है आप.
सुन्दर

L.Goswami ने कहा…

subhkamnayen aapke sodhkarya ke liye..aapka vishay kathin hai ..apne laptop se dur hun hindi nhi likh pa rahi.

 

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