रविवार, नवंबर 08, 2009

तुम एक आम का पेड़ जिसकी शीतलता ने हर पल मुझे सहलाया है,
जिसके फलों की मिठास से मेरा सारा जीवन मिठास से भर गया !

3 टिप्पणियाँ:

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत खुब,

अजय कुमार झा ने कहा…

बस जी इतना ही ....मगर गजब है जी इतना भी ....

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

कविता ए टी आर विमान जैसी लगी, शुरू होते ही समाप्‍त हो गयी।

 

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