शुक्रवार, दिसंबर 11, 2009
तुम्हारे पसंदीदा डायलोग
तुम जब भी मिलती हो नयी सी लगती हो
ये मेरा भ्रम है की तुम्हारा जादू ?
तुम्हारी आँखे हैं की आइना,
जैसे ही देखो दिल का हाल पता चल जाता है.
अरे कहना था न मुझे तुमने क्यूँ तकलीफ की,
हुज़ूर की खिदमत में नाचीज़ हमेशा हाज़िर है.
तुम हंसती हो तो लगता है
जैसे मंदिर में घंटिया बज रही है.
तुम ऐसे चुप मत बैठा करो
मुझे लगता है सारा जहान नाराज़ है.
तुम भी न इतनी झल्ली क्यूँ हो, देना था न जवाब
अच्छे से एकदम करारा तुम्हारे गुस्से जैसा .
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10 टिप्पणियाँ:
जादू ही होगा.. :)
बढ़िया भाव!!
तुम ऐसे चुप मत बैठा करो
मुझे लगता है सारा जहां नाराज़ है।।
मन को ठू जाने वाली लाइनें हैं..
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ब्लोग चर्चा मुन्नभाई की
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सुरभीजी
सुन्दर कविता पाठ!
आभार!
महावीर बी. सेमलानी "भारती"
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यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर
"तुम भी न इतनी झल्ली क्यूँ हो, देना था न जवाब
अच्छे से एकदम करारा तुम्हारे गुस्से जैसा ."
बड़ी मासूमियत से कसी गयी बात ! बुनावट जम गयी । आभार ।
डायलोग कहने का अच्छा अन्दाज।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
तुम भी न इतनी झल्ली क्यूँ हो, देना था न जवाब
अच्छे से एकदम करारा तुम्हारे गुस्से जैसा ."
सही हैं ये डायलाग बधाई
shaandaar!
दिल से महसूसी हुई पंक्तियां । असली ।
तुम ऐसे चुप मत बैठा करो
मुझे लगता है सारा जहान नाराज़ है...
ये कहने को तो डॅयेलॉग ही हैं पर कभी कभी सटीक बैठते हैं ...............
आपकी सारी पोस्ट लाज़वाब है.इस पोस्ट में प्रयोग उर्दू मुझे मेरी नानी की याद दिला गयी.शुक्रिया आपका
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