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मेरा जन्म हुआ इश्क से...मेरा जन्म हुआ इश्क के लिए...इश्क का हर रूप हर रंग जीवन में यहाँ वहां छलका हुआ है...ढूंढ सको तो ढूंढ लो जो रंग चाहिए जीवन इन्द्रधनुषी करने के लिए
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5 टिप्पणियाँ:
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.
अनेक शुभकामनाएँ.
शुक्रिया समीर जी आजकल रोज ५ चिट्ठों पर टिपण्णी कर रही हूँ...कोशिश करुँगी की और ज्यादा करूँ. आपके होंसले अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया :)
सच बहुत आनंद मिला आपके चिट्ठे पर!
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बहुत सुंदर पंक्तियाँ लिखी हैं सुरभि मन को छू गयी।
bahut khoob Surbhi ji...
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