सोमवार, जुलाई 20, 2009

तुम एक दुनिया खूबसूरत सी

तुम्हे देखती हूँ तो लगता है सारी दुनिया मेरे पास सिमट आई है, हर ओर कोयले जीवन का मधुर संगीत सुना रही है. ज़िंदगी के जो अंधेरे कोने शेष है वहाँ जुग्नुओ की रोशनी बिखर गयी है, तपते हुए रेगिस्तान मे बालू के कणओ पर बारिश की बूंदे मोती जैसे गिर रही है, जाड़ो की सुबह मे ठिठुरती धरती को सूरज की गरमाहट का साथ मिल गया हो. हर इंसान खुशी मे वैसे ही नाच रहा है जैसा मयूर बारिश मे मन्त्र मुग्ध हो नाचता है. तुम्हारे साथ देखी एक सुबह का उजाला आजीवन की रोशनी भर गया, जिस केक्टस को बरसों से फूल खिलने का इंतज़ार था आज वो भी गुलाबी सफेद नाज़ुक फूल को कांटो के बीच खिला देख इतरा रहा है. जब तुम साथ होते हो तो मैं उतना ही आश्वस्त महसूस करती हूँ जितना एक बच्चा अपनी माँ की गोद मे महसूस करता है या पिता की अंगुली थामे.

8 टिप्पणियाँ:

Vinay ने कहा…

अति सुन्दर भाव प्रकटन
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ॐ (ब्रह्मनाद) का महत्व

के सी ने कहा…

शैली तो परफेक्ट है साथ ही कुछ बिम्ब भी पसंद आये और जब आप जिस सादगी से कहती हैं वही है खूबसूरती !

mehek ने कहा…

sunder bahut sunder

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

प्रेम का बेहद भावपूर्ण प्रदर्शन ..
बहुत बढ़िया लिखा आपने
बधाई हो!!

M VERMA ने कहा…

सघन अनुभूति

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति!

प्रिया ने कहा…

mujhe aapka lekhan pasand aaya

Himanshu Pandey ने कहा…

सहजता से लिख दिया गया अनुभूति का कुछ अंश । सुन्दर अभिव्यक्ति । धन्यवाद

 

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